डिजिटल युग में फिल्मों का स्तर काफी नीचे गिरता जा रहा है। साउथ तथा बॉलीवुड की कुछ फिल्मों ने भले ही सभ्यता व संस्कृति को बचाए रखने की भरसक प्रयास की है, पर अधिकांश फिल्में देश व राज्य की सभ्यता व संस्कृति को चोट पहुंचाने में अब्धल रही है। मेरा इशारा फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता को लेकर है।
डिजिटल युग में फिल्मों का स्तर काफी नीचे गिरता जा रहा है। साउथ तथा बॉलीवुड की कुछ फिल्मों ने भले ही सभ्यता व संस्कृति को बचाए रखने की भरसक प्रयास की है, पर अधिकांश फिल्में देश व राज्य की सभ्यता व संस्कृति को चोट पहुंचाने में अब्धल रही है। मेरा इशारा फिल्मों में बढ़ती अश्लीलता को लेकर है।
वर्षों पूर्व से टीवी पर विभिन्न प्रकार की सीरियल
प्रसारित हो रही थी। सीरियल आज भी बहुतायत संख्या में प्रसारित हो रही
है। हर वर्ग के दर्शकों को ध्यान में रख निर्मातागण सीरियल का निर्माण
करते आ रहे हैं, जिसे लाखों सीरियल प्रेमी बड़े चाव से देखना पसंद करते
हैं। भारत में टेलीविजन की शुरुआत भले ही धीमी गति से प्रारंभ हुई, जिस
पर शुरूआती दौर में टेलीविजन पर कुछ पाठ्यक्रम के हिस्से प्रसारित होते थे
तथा कुछ सिंचाई व व्यायाम से संबंधित प्रोग्राम दिखाए जाते थे। धीरे-धीरे
टेलीविजन पर कुछ फिल्मों ने भी अपनी जगह बना ली। समय के साथ
काफी निजी चैनलों का आगाज़ हो गया। जिस पर सैकड़ों अनगिनत प्रोग्राम
प्रसारित होने लगे, परंतु 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे सीरियलों ने तो
दर्शकों पर ऐसा जादू बिखेरा कि घर-घर में टीवी की मांग अप्रत्याशित रूप
से बढ़ गई। आज कई सीरियल ऐसे हैं जो काफी वर्षों से प्रसारित हो रहे हैं।
उन सीरियल की हजारों एपिसोड दर्शकों द्वारा पसंद किए गए हैं। टेलीविजन
की शुरुआती दौर में एकमात्र चैनल 'दूरदर्शन' था, जबकि आज सैकड़ों
चैनल भरे पड़े हैं। रिमोट की बटन दबा दबा कर दर्शक मिनटों में कई चैनलों
की परिक्रमा कर लेते हैं। निर्माता को मालूम है कि टीवी पर दिखाई जाने
वाली सीरियलों में सबसे ज्यादा रुचिकर प्रोग्राम दर्शकों के लिए क्या है!
अतः निर्माता खासकर बच्चों एवं महिलाओं को ध्यान में रखकर सीरियल
निर्माण करते हैं, जिसे बड़े चाव से दर्शक पसंद करते हैं।
पर, आजकल वेब सीरीज तीव्र गति से अपना दम खम दिखाने लगा है। हिन्दी भाषा से लेकर लगभग प्रत्येक प्रांतीय भाषाओं में वेब सीरीज का निर्माण हो रहा है। पर अफसोस की बात है कि इसने भारत की सभ्यता व संस्कृति को बर्बाद करने का बीड़ा उठा लिया है। ऐसे वेब सीरीज का संवाद और दृश्य अश्लीलता से परिपूर्ण होता है, जिसे सभ्य समाज द्वारा नहीं देखा जा सकता है। निश्चित तौर पर इस तरह की वेब सीरीज संस्कारी व सभ्य दर्शकों की मर्यादाओं के विपरीत है। वेब सीरीज में शामिल घिनौने व गंदे संवादों के जरिए दर्शकों को सिर्फ शर्मिंदा ही नहीं किया जा रहा बल्कि उनके आचरण को भी बिगाड़ा जा रहा है। खासकर बच्चे, युवा एवं युवतियां काफी प्रभावित हो रही है। परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर देखना तो बिल्कुल मुनासिब नहीं लगता। बिहार-यूपी से जुड़े भोजपुरी के वेब सीरीज निर्माता तो कुछ कदम आगे ही रहते हैं। जो गंदगी परोसने में कोई कसर नहीं छोड़ते। भिन्न-भिन्न तरह से इसमें गंदगी परोसी जा रही है। रातों-रात अमीर बनने तथा नाम कमाने की चाहत ने समाज को क्षत-विक्षत कर दिया है। कभी-कभी सोचने पर विवश होना पड़ रहा है कि कहां से कहां आ गए हम !